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Showing posts from July 3, 2011

maa

मैँ जब इस जहाँ मे आयी माँ ने आँचल मेँ समेटा था मुझे। पिता ने बाहो मेँ भरकर कहाँ था परी आई है मेरी। जब तुम मेरी बाहों मेँ आई मैँने समेट लिया तुम्हे वो पहला स्पर्श जब थामी थी मेरी उगली और मुस्कुरा दी थी तुम। शरारत तुम मेँ शुरु से थी उगली पकडकर आँख मिचकाना याद आता है मुझे और खिलखिलाना तुम्हारा। मैने कहा था परी आई है और तुम्हारा पहला शब्द पल्ली गुदगुदाया था मुझे नकलची हुबहु। ना जाने कैसा बंधन है जो बाँध कर रख़ता है तुम से मुझे। मुझे यूं ही बाँधे रखना थामे हुए मेरी ऊगली चलना।